ಗೋಡೆಗಳೊಂದಿಗೆ ಭೇಟಿ ಮಾಡಿ ಅಳಲು
ಇಷ್ಟಾವಾಗುತ್ತದೆ
ಮರುಳಾಗುವೆನೋ ಏನೋ ನಾನು
ಹಾಗೆ ಅನಿಸುತ್ತದೆ
ಗೋಡೆಗಳೊಂದಿಗೆ...
ಜಗದೆಲ್ಲ ನೆನಪು
ನನಗೆ ಸಿಗಲು ಬರುತ್ತದೆ
ಸಂಜೆ ಆದಂತೆ
ಈ ಏಕಾಂತ ಮನೆಯಲಿ
ಜಾತ್ರೆ ಕೂಡಿ ಬರುತ್ತದೆ
ಮರುಳಾಗುವೆನೋ....
ಎಷ್ಟು ದಿನದ ದಾಹದಿಂದ
ತಳಮಳಿಸುತ್ತಿದ್ದರೋ
ಗೆಳೆಯರೇ ಯೋಚಿಸಿ
ಇಬ್ಬನಿಯ ಹನಿ ಸಹ ಅವರಿಗೆ
ಕಡಲಾಗಿ ಕಂಡು ಬರುತ್ತದೆ
ಮರುಳಾಗುವೆನೋ....
ಯಾರಿಗೆ ಕಲ್ಲು ಹೊಡೆಯಲಿ
ಯಾರು ಪರಕೀಯರು
ಗಾಜಿನ ಅರಮನೆಯಲಿ
ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಚಹರೆ
ನಮ್ಮವೆರೆಂದು ಕಂಡು ಬರುತ್ತದೆ
ಮರುಳಾಗುವೆನೋ....
ಅನುವಾದ : ಹರೀಶ್ ಶೆಟ್ಟಿ, ಶಿರ್ವ
ಮೂಲ : ಕೈಸರ್ ಉಲ್ ಜಾಫ್ರಿ
ಹಾಡಿದವರು : ಪಂಕಜ್ ಉಧಾಸ್
दीवारों से मिलकर रोना
अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से मिलकर रोना
अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से
दुनिया भर की यादें
हमसे मिलने आती हैं
दुनिया भर की यादें
हमसे मिलने आती हैं
शाम ढले इस सूने घर में
मेला लगता है
शाम ढले इस सूने घर में
मेला लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से
कितने दिनों के प्यासे
होंगे यारों सोचो तोह
कितने दिनों के प्यासे
होंगे यारों सोचो तोह
शभनम का कतरा भी जिनको
दरिया लगता है
शभनम का कतरा भी जिनको
रिया लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से
किसको कैसर पत्थर मरू
कौन पराया है
किसको कैसर पत्थर मरू
कौन पराया है
शीश महल में एक एक चेहरा
अपना लगता है
शीश महल में एक एक चेहरा
अपना लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से मिलकर रोना
अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से
ಘಜಲ್ ಕೊಂಡಿ : YOU TUBE
https://www.youtube.com/watch?v=nGuHxXOKATE
ಇಷ್ಟಾವಾಗುತ್ತದೆ
ಮರುಳಾಗುವೆನೋ ಏನೋ ನಾನು
ಹಾಗೆ ಅನಿಸುತ್ತದೆ
ಗೋಡೆಗಳೊಂದಿಗೆ...
ಜಗದೆಲ್ಲ ನೆನಪು
ನನಗೆ ಸಿಗಲು ಬರುತ್ತದೆ
ಸಂಜೆ ಆದಂತೆ
ಈ ಏಕಾಂತ ಮನೆಯಲಿ
ಜಾತ್ರೆ ಕೂಡಿ ಬರುತ್ತದೆ
ಮರುಳಾಗುವೆನೋ....
ಎಷ್ಟು ದಿನದ ದಾಹದಿಂದ
ತಳಮಳಿಸುತ್ತಿದ್ದರೋ
ಗೆಳೆಯರೇ ಯೋಚಿಸಿ
ಇಬ್ಬನಿಯ ಹನಿ ಸಹ ಅವರಿಗೆ
ಕಡಲಾಗಿ ಕಂಡು ಬರುತ್ತದೆ
ಮರುಳಾಗುವೆನೋ....
ಯಾರಿಗೆ ಕಲ್ಲು ಹೊಡೆಯಲಿ
ಯಾರು ಪರಕೀಯರು
ಗಾಜಿನ ಅರಮನೆಯಲಿ
ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಚಹರೆ
ನಮ್ಮವೆರೆಂದು ಕಂಡು ಬರುತ್ತದೆ
ಮರುಳಾಗುವೆನೋ....
ಅನುವಾದ : ಹರೀಶ್ ಶೆಟ್ಟಿ, ಶಿರ್ವ
ಮೂಲ : ಕೈಸರ್ ಉಲ್ ಜಾಫ್ರಿ
ಹಾಡಿದವರು : ಪಂಕಜ್ ಉಧಾಸ್
दीवारों से मिलकर रोना
अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से मिलकर रोना
अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से
दुनिया भर की यादें
हमसे मिलने आती हैं
दुनिया भर की यादें
हमसे मिलने आती हैं
शाम ढले इस सूने घर में
मेला लगता है
शाम ढले इस सूने घर में
मेला लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से
कितने दिनों के प्यासे
होंगे यारों सोचो तोह
कितने दिनों के प्यासे
होंगे यारों सोचो तोह
शभनम का कतरा भी जिनको
दरिया लगता है
शभनम का कतरा भी जिनको
रिया लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से
किसको कैसर पत्थर मरू
कौन पराया है
किसको कैसर पत्थर मरू
कौन पराया है
शीश महल में एक एक चेहरा
अपना लगता है
शीश महल में एक एक चेहरा
अपना लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से मिलकर रोना
अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जाएंगे
ऐसा लगता है
दीवारों से
ಘಜಲ್ ಕೊಂಡಿ : YOU TUBE
https://www.youtube.com/watch?v=nGuHxXOKATE
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