मुझे बच्चा ही रहने दो,
मेरे दिल को बच्चा ही रहने दो,
नहीं समझ में आती है मुझे ये दुनियादारी,
ये द्वेष, लालच, नफरत, धन दौलत की खुमारी,
मुझे इन सब पचड़ों से दूर रहने दो,
मेरे दिल को बच्चा.....
सह नहीं पायेगा ये मेरा नादान दिल आप सबकी ये उपेक्षा,
हँसते रहना, मस्ती करने की है केवल इसकी आशा,
मुझे इस दोगलेपन से दूर रहने दो,
मेरे दिल को बच्चा.....
ये दिल तो है केवल प्यार का भूखा,
चाहत है तो सिर्फ खिलखिलाते रहने, नाचने गाने का,
मुझे बस खुल के जीने दो,
मेरे दिल को...
by हरीश शेट्टी, शिरवा
No comments:
Post a Comment